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आटा – साटा (विवाह / व्यापार)

👉यह कुरीति समाज में इतनी व्यवस्थित तरीके से चलती है कि उपर से देखे तो हमें लगता है सब ठीक चल रहा है।
लेकिन जब जीवन में होश आता है तो पता चलता है कि कितने घटिया उद्देश्य अपनी बेटी का पूरा जीवन तबाह कर दिया जा रहा है।

👉जिन घरों में भाई बहन हो उनमें भाई की शादी के लिए बहन का सौदा किया जाता है यानी उसकी अगले घर के किसी लड़के से शादी कर देते है।
🚫वो लड़का अनपढ़ हो , नशेबाज हो , गेमर हो , जिसे कामना के अलावा कुछ नहीं दिखता कैसा भी हो , यह नहीं देखा जाता।

📌यहा शादियों में देहज भी खूब दिया जाता है।

👉शादी के एक-दो साल बाद 90 % से अधिक लड़कियां इस प्रकार के जीवन को जीना ही नहीं चाहती, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण कुछ नहीं कर सकती। और इसी नर्क जीवन को स्वीकार कर लेती है।
🏵️ क्योंकि उसकी खुद की कुछ समझ नहीं , ना उसे शिक्षा दी , ना उसे मन से मजबूत बनाया , ना उसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया।
🏵️जीवन के हर क्षेत्र में उसे दूसरों पर आश्रित कर दिया जाता है।

👉शादी के बाद ऐसी नर्क जिंदगी से परेशान होकर बहुत सी लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है , तो समाज उन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ करार देकर इस खौफनाक सच्चाई से अनजान बन जाता है। क्योंकि यदि इस स्वीकार कर लिया कि यह जो हो रहा है बहुत गलत है तो उसे अपना पूरा जीवन बदलना पड़ेगा।

♻️ लड़की जब ससुराल जाती है तो वहा उसकी स्थिति:

1. लड़की की शादी सौदेबाजी पर आधारित है तो घर में उसे एक इंसान के रूप में कभी नहीं देखा जाता। भले ही उसका भव्य स्वागत करा , लाड प्यार दिखा रहे हो।

2.उसके आगामी जीवन में शिक्षा , स्वास्थ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन उथला लाड प्यार दिया जाता है ताकि वो इस व्यवस्था में घुल जाए।

3.ससुराल आते ही सबका खाना बनाना , सबके जूठे बर्तन साफ करना , सबसे अंत में खुद खाना खाना।

4. ससुराल वालों की ओर से झूठी तारीफ , इज़्जत , सम्मान मिलना।

5. रोज पति के सारे गंदे कपड़े धोना और हर शाम बलात्कार झेलो , हां बलात्कार ही क्योंकि इसमें उसकी मर्जी ली ही नही जाती कभी।

6. पति के मां, बाप को मां और पापा कहकर बुलाना।

7. घर के किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर उसकी कोई राय नहीं।

8. पति से उसका संबंध केवल शारीरिक सुख प्राप्त करना।

9. ससुराल में तुम खेल नही सकती , दौड़ नहीं सकती , गा नही सकती , नाच नहीं सकती।

10. घर में पति से बड़े पुरुषों से घूंघट और उनके सामने मूक बनी रहना।

11. एक दो साल के भीतर बच्चा पैदा हो जाता है।

12.फिर दिन में तीन से चार बार उसकी ट्टटी साफ करो।
उसे नहलाओ , खिलाओ , पिलाओ सब काम।

13. दो साल के भीतर एक और बच्चा पैदा।

🚫यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक आटा साटा का नया जोड़ा अर्थात् 1 लड़का तो 1 लड़की ताकि लड़के की शादी लड़की के बदले कर सके।

14. ऐसे ही कम उम्र में 2 से 3 बच्चो की मां बन जाती है।

15. हर बार डिलीवरी के समय कैल्सियम , खून आदि अनेकों तत्वों की कमी के कारण अनेकों प्रकार बीमारियों का सामना करना तथा कई बार इन बीमारियों के कारण मृत्यु हो जाती है ।

16. धीरे धीरे शरीर में विटामिन्स , कैल्सियम जैसे अनेकों तत्वों की कमी क्योंकि डिलिवरी के बाद पोषण के नाम पर उसे केवल घी से बनी चीजें ही दी जाती है। बाकी सब्जियां , फल….etc कुछ नहीं।

17. इन सब के कारण शरीर में अनेकों बिमारिया घर कर जाती है।

18. बीच बीच में अनेकों उथली रस्में होती है जिनमें इस लड़की के लिए अनेकों आभूषण बनवाए जाते है ताकि वो इस नर्क से भाग ना जाए और वो बेचारी इन प्रलोभनों में फंस भी जाती है , क्योंकि उसे कभी सिखाया ही नही की जीवन मूल्य क्या होते है। किस चीज के बदल क्या गंवा रही हो।

19. ना जाने वो , लड़की से कब 80 किलो की वजनदार महिला जिसको शुगर जैसी अनेकों बिमारिया है ,बन जाती है या एक 35 किलो की एक कमजोर महिला जिसमे अनेकों पोषक तत्वों की कमी है।

20. फिर बच्चे बड़े तो उनके सौदेबाजी की चर्चा अपने संबंधियों के साथ चालु हो जाती है।

21. और एक दिन उसकी लड़की भी विदाई लेकर निकल पड़ी उसी अंधकार दुनिया की ओर और आगे …………, और आज यह एक ऐसा दुष्चक्र बन चुका है जो निरंतर चलता ही जा रहा है।

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❇️ लेकिन यह भयावह व्यवस्था, जब जीवन में ज्ञान की रोशनी आती है तभी साफ़ साफ़ दिखाई देने लगती है।

♦️हमें ज्ञान से बड़ा डर लगता है क्योंकि ज्ञान इस व्यवस्था की नींव हिला कर इसे गिरा देता है।

🏵️सच्चा ज्ञान वह ताकत भी देता है जिससे जीवन की असली चुनौतियों से लड़ा जा सके।

♦️क्योंकि हमारे समाज मान्यताओं, परंपराओ से संचालित है इनमें अध्यात्म का कोई स्थान नहीं होता इसलिए अपराध , हिंसा , कुप्रथा , कुरीतियां आदि समाज को दूषित करती रहती है।

Veena Singh

Veena Singh

Reflective Writer

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